गीत/नवगीतपद्य साहित्य

भारत का संविधान (गीत)

(संविधान दिवस पर)
मैं भारत का संविधान हूँ , अपनी व्यथा सुनाता हूँ।
क्या- क्या मेरे सँग होता है,सारी बात बताता हूँ।
कसमें मेरी खाते नेता,और भूल फिर जाते हैं।
जिस जनता के लिए बना हूँ,उसको खूब सताते हैं।

देख देखकर लोगों को मैं ,रहता सदा लजाता हूँ।।
मैं भारत का—

न्याय व्यवस्था पंगु हो रही,सुलभ नहीं सबको होती।
लोकतंत्र में लोक नहीं हैं,जनता रहती है रोती।
भारत माँ को गाली देते, झंडा लोग जलाते हैं।
जाति- धर्म का आश्रय लेकर,दंगे भी करवाते हैं।

सही सीख मैं देता रहता,मार्ग सही दिखलाता हूँ।।
मैं भारत का—

हमने समता की बातें की,लोगों ने खाईं खोदी।
भाई -चारा मेरा नारा ,सबने जहर बेल बो दी।
शर्म आँख में कुछ रहने दो, दया धर्म की बात करो।
रहो परस्पर प्रेम भाव से, पावन हर जज़्बात करो ।।

सद्गामी लोगों के दिल में,हरपल खुद को पाता हूँ।।
मैं भारत का—-

गलत काम सब मिल करते हैं,मेरा नाम लगाते हैं।
संविधान हक हमको देता,यह ही राग सुनाते हैं।
हमने तो अधिकार दिए थे, दुरुपयोग सबने सीखा।
कर्तव्यों को तो भुला दिया,फर्ज नहीं खुद का दीखा।।

पावन भारत भू की निशि दिन,गौरव गाथा गाता हूँ।।
मैं भारत का—-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय

संविधान दिवस पर)
मैं(संविधान दिवस पर)
मैं भारत का संविधान हूँ , अपनी व्यथा सुनाता हूँ।
क्या- क्या मेरे सँग होता है,सारी बात बताता हूँ।
कसमें मेरी खाते नेता,और भूल फिर जाते है(संविधान दिवस पर)
मैं भारत का संविधान हूँ , अपनी व्यथा सुनाता हूँ।
क्या- क्या मेरे सँग होता है,सारी बात बताता हूँ।
कसमें मेरी खाते नेता,और भूल फिर जाते हैं।
जिस जनता के लिए बना हूँ,उसको खूब सता

संविधान हूँ , अपनी व्यथा सुनाता हूँ।
क्या- क्या मेरे सँग होता है,सारी बात बताता हूँ।
कसमें मेरी खाते नेता,और भूल फिर जाते हैं।
जिस जनता के लिए बना हूँ,उसको खूब सताते ह

डॉ. बिपिन पाण्डेय

जन्म तिथि: 31/08/1967 पिता का नाम: जगन्नाथ प्रसाद पाण्डेय माता का नाम: कृष्णादेवी पाण्डेय शिक्षा: एम ए, एल टी, पी-एच डी ( हिंदी) स्थाई पता : ग्राम - रघुनाथपुर ( ऐनी) पो - ब्रह्मावली ( औरंगाबाद) जनपद- सीतापुर ( उ प्र ) 261403 रचनाएँ (संपादित): दोहा संगम (दोहा संकलन), तुहिन कण (दोहा संकलन), समकालीन कुंडलिया (कुंडलिया संकलन), इक्कीसवीं सदी की कुंडलियाँ (कुंडलिया संकलन) मौलिक- स्वांतः सुखाय (दोहा संग्रह), शब्दों का अनुनाद (कुंडलिया संग्रह), अनुबंधों की नाव (गीतिका संग्रह), अंतस् में रस घोले ( कहमुकरी संग्रह), बेनी प्रवीन:जीवन और काव्य (शोध ग्रंथ) साझा संकलन- कुंडलिनी लोक, करो रक्त का दान, दोहों के सौ रंग,भाग-2, समकालीन मुकरियाँ ,ओ पिता!, हलधर के हालात, उर्वी, विवेकामृत-2023,उंगली कंधा बाजू गोदी, आधुनिक मुकरियाँ, राघव शतक, हिंदी ग़ज़ल के साक्षी, समकालीन कुंडलिया शतक, समकालीन दोहा शतक और अनेकानेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन। पुरस्कार: दोहा शिरोमणि सम्मान, मुक्तक शिरोमणि सम्मान, कुंडलिनी रत्न सम्मान, काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान, साहित्यदीप वाचस्पति सम्मान, लघुकथा रत्न सम्मान, आचार्य वामन सम्मान चलभाष : 9412956529