क्षणकायें
हम जीये या मरें नहीं हमें इसकी कोई परवाह यह तो जीवन की है एक प्रक्रिया क्रम यह चलता ही
Read Moreमैंने पाली इक बिल्ली रोज सुबह जाती साथ मेरे करती वह भी वॉक उछल कूद करती रस्ते भर कभी इधर
Read Moreसत्ता का नशा सिर चढ़ बोलता रुतबा है पैसे की खनक है इसमें तभी तो बेटा पिता से पत्नी पति
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