अजनबी
अजनबी से बैठे हैं निशब्द चुपचाप आपस में हम सब एक घर एक छत के ही नीचे अपने हाथों में
Read Moreसत्ता का नशा सिर चढ़ बोलता रुतबा है पैसे की खनक है इसमें तभी तो बेटा पिता से पत्नी पति
Read Moreवासुदेव का सुमिरन करते करते प्रकट हो गए नारायण देख उन्हें मैं चौंकापूछ लिए उनसे तुम नारायण हो या कोई छलिया और प्रपंच विश्वास नहीं
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