बैरियों के बैर
बैरों से लदी बैरिया झुक झुक जमी पर आ गईं पर हैं जिनका इंतजार वोह बचपन लेकर हाथ में पत्थर
Read Moreबैरों से लदी बैरिया झुक झुक जमी पर आ गईं पर हैं जिनका इंतजार वोह बचपन लेकर हाथ में पत्थर
Read Moreजिंदगी कितनी तन्हा हो गई साजो सामानों से तो लेबलेज है पर दिल बहलाने को कोई साज नहीं कौन सा
Read Moreसाकी क्यों पीते हैं हम कभी तो पूछा होता तूने यह शराब नहीं गम के घूंट हैं छलक न जाए
Read Moreदातुन के गुण बाजार में दांतों के लिए तरह तरह के टूथ पेस्ट बिक रहे हैं .तमाम कंपनिया प्रचार में
Read Moreजो अल्फाज़ मैंने कहे जैसे कहे जिस लहजे में कहे तुमने उनको समझा ही नहीं अगर समझा तो अपने लहजे
Read Moreआगमन में इंसान के बजते हुए ढोल तांसे विदा के वक्त फिर यह रोना कैसा हंसी खुशी विदा करों न
Read Moreधड़कती नब्ज सांसों का आरोह अवरोह देख कर लगता है जिंदा है आदमी हां इससे तो यही लगता है जिंदा
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