Author: *चंचल जैन

कविता

वंदना!

प्रातःस्मरण सृष्टि रचयिता परमेश्वर, करुणासागर, प्रभु परमात्मा का, धन्यवाद दूँ मानव जीवन उपहार, बुद्धिबल, ज्ञान, कौशल वरदान का।।१।। स्मरण करूँ

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