अपना देश
कितना सुंदर हैं अपना देश, क्यों ललचाए हमें विदेश? कलकल बहती गंगा-यमुना धारा, पावन संस्कृति, सृष्टि सौंदर्य अशेष।। मुकुट-सा हिमालय
Read Moreनन्हीं चिड़िया, चुग लो दाना, दानों से भरा है दोना।। मटके में जल है, मीठा, शीतल, आओ, अपनी प्यास बुझाना।। चिंव-चिंव,
Read Moreमुक्त हूं मैं रूढ़िवादी सोच से, उन्मुक्त नहीं। स्वतंत्र हूं अवांछनीय बंधनों से, स्वच्छंद नहीं।। संस्कारी मन, सु-शील वर्तन मेरा,
Read Moreफूलों की रंग बिरंगी क्यारियां, मनभावन खुशबू उसे बहुत पसंद थी। भोर की मद्धम रोशनी, कलरव करते पंछी, रंग रंगीली
Read Moreवाणी हो मीठी-मीठी मधुर, न हो कर्कश, न कठोर, मिश्री घुली हो बोली सुहास, रिमझिम बरसे प्रेम रस धार।। निर्मल
Read Moreघण घण घण बजी रे घंटी, आया कुल्फी वाला, आया कुल्फी वाला रे, आया कुल्फी वाला।। दादी दे दो ना
Read Moreबड़े प्यार से रविंद्र और रंजन ने घर सजाया था। शानदार बाग भी। रंगबिरंगे फूलों की क्यारियां घर-द्वार महकाती। सुनहरी
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