रावण दहन
रावण दहन कर घर लौट रही थी सुमित्रा। रास्ते में छोटीसी गली हैं, जो सुनसान रहती है, लेकिन जल्द पहुंच
Read Moreबड़े बड़े कर वादे हमने, पायी यह सौगात। कभी नमन, वंदन, जोडे कर, भुला चले औकात।। जोगीरा सा रा रा
Read Moreनन्हा सा बालक जब रोता, आंचल में छुप चुप होता। ममता की छाया में सोता, भरता सुख सागर गोता।। गोदी
Read Moreपावन पर्व रंगोत्सव, आयी, होली आयी, आनंद, उल्लास, हुड़दंग, चहुँ ओर खुशियां छायी।। रंग बिरंगे फूलों की सजी सुंदर क्यारियां, प्रेम सुरभि
Read Moreछोटी सी है चिड़िया न्यारी, फड़ फड़ करती हैं प्यारी, कौन सिखाता ऊँचा उड़ना, दाना-दाना चुगकर लाना। मस्ती में कैसे
Read Moreपरियों की रानी सुहासिनी नाम की तरह ही कोमल, मृदुल, हंसमुख थी। अपनी मृदुल वाणी से सबकी चहेती। आज रानी
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