सरस्वती वंदना
हंसवाहिनी माँ सरस्वती, विराजो हृदय में भगवती, ज्ञान दीप आलोक भर दो, विद्या धन दो माँ भारती।। कोकिल कंठ सुर
Read Moreहंसवाहिनी माँ सरस्वती, विराजो हृदय में भगवती, ज्ञान दीप आलोक भर दो, विद्या धन दो माँ भारती।। कोकिल कंठ सुर
Read Moreलिख दो दोस्ती के नाम, सुंदर सा एक पैगाम।। भेद न कोई मन में रखे, मित्रता ऊँच-नीच न देखे।। मित्रता
Read Moreसूरज किरणें सुनहरी, चेतन दिव्य प्रकाश। खिले पुष्प सुरभित धरा, हर्षित हैं आकाश।। हर्षित है आकाश, प्रेम रस मधुमय धारा।
Read Moreरटती गिरिधर नाम की, माला सुधबुध भूल। गाथा निर्मल प्रेम की, भक्ति भाव के फूल। भक्ति भाव के फूल, थाट
Read Moreरोके हम आवेग को, कसना विनय लगाम। मर्यादा बंधन भला, लगती प्रकृति ललाम।। लगती प्रकृति ललाम, सादगी हर दिल जीते।
Read Moreएक नई शुरुआत, करे प्रेम बरसात, सुरभित पुष्प बन, जग महकाइए।। सब मिल हो पहल, सहेजे वन जंगल, पेड़ लगा
Read Moreअबला न इसे मान, मात ममता फुलवारी। शक्ति, भक्ति प्रतिरूप, जन्म दात्री हैं नारी।। सेवा, संयम मूर्ति, स्नेह से भर
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