आखिरी आदमी की पीड़ा
तरह-तरह के लोक लुभावने वादेजीत के पहले व्यक्तित्व सादेजब जीत सुनिश्चित हुईफिर दिखाते प्रतिबिंब पियादे।जमीनी स्तर में पाँव नहीबैठने को
Read Moreतरह-तरह के लोक लुभावने वादेजीत के पहले व्यक्तित्व सादेजब जीत सुनिश्चित हुईफिर दिखाते प्रतिबिंब पियादे।जमीनी स्तर में पाँव नहीबैठने को
Read Moreजब विलुप्त प्राणी प्रकट होउनसे मुलाकाते झटपट होकुसुम सा वाणी झरने लगेप्रचंड ग्रीष्म नीर बहने लगेदर्द को मिले तुरंत मरहमचोटिल
Read Moreये रीत के ठेकेदारों नेनिज स्वार्थ को नियम बनाये।हर ठौर में विपरीतभिन्न-भिन्न के विधि लगाये।भर्ता के प्राण हरण परजगत में
Read Moreमैं व्याकुल और परेशान हूँशहर के नीतियों को देख हैरान हूँअर्द्धदिवस का काम देते हैंआमजन यह सब कैसे सह लेते
Read Moreवो दुकानदार बनके,मार रहे हैं अंटीकभी हक-अधिकार कोकभी रोजी-रोजगार को।सोंचता हूँ दुकानदार बदलेगापर नही बदलता हैलुभावने वचनों में उलझाकरहमको ही
Read Moreआविष्कार बहुतायत हो रहेबम बारूद राफेल के तुख्म बो रहेखोज रहे नित्य नए आयामलडाकू विमान सरिस घातक संग्रामधातुओं के बन
Read Moreमनुजों से बैर रख के, खग-नरेतर को सबने चाहा।स्वयं गुलाम रह न सके, पर को वश में करना चाहा।ग्रीवा में
Read Moreमुद्दते लग गई चुनने मेंएक-एक ईंट दीवार कीजब सफलता के शिखर में पहुँचातो मौसम बदल गया थाबच्चे बड़े हो गए
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