बेवकूफ (लघुकथा)
“माँ, इस एफ.डी.आर. में भी नॉमिनी मुझे ही रखना, भैया सम्भाल नहीं सकता।” “बेटे, मैं बराबर बांटना चाहती हूँ। उसको
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Read Moreमाला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।कबीर दास जी इस
Read Moreमैंने देखा है, चुनावों के समय,सभ्य को गंवार होते हुए,और चुनाव परिणामों के समय,गंवारों को सभ्य होते।समय,के साथ, गंवार शब्दों
Read Moreमाला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर, कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर। कबीर दास
Read Moreपरिचय चंद्रमा सदैव से ही मानव की कल्पनाओं को आकर्षित किये हुए है। रात के आकाश में इसकी चमकती उपस्थिति,
Read Moreब्रह्माण्ड की मूलभूत ऊर्जा के नौ रूपों के अवतरण को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। रात्रि में मनाए
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Read Moreकितना लगता है वक्त, प्रथा को कुप्रथा बनने में? उतना ही जितना एक मुंह से एक शब्द निकलने के बराबर
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