सूखी हथेली…
रही हथेली सूखी सूखी, बारिश में फैलाई भी थी। न बख्शा ज़ख्मों को मरहम, चोट उन्हें दिखलाई भी थी। आज
Read Moreरही हथेली सूखी सूखी, बारिश में फैलाई भी थी। न बख्शा ज़ख्मों को मरहम, चोट उन्हें दिखलाई भी थी। आज
Read Moreजो चाहत रूह तक पहुंचे, नहीं अब प्यार वो शायद। खड़ी रिश्तों के आँगन में, कोई दीवार है शायद। वो
Read Moreमुझपे ममता का रंग डाला है। मेरी आँखों में जो उजाला है। बस दुआ देके दर्द खींच लिया, माँ तेरा
Read Moreजो शोषक वर्ग से, संघर्ष का आहवान करते हैं। जो अपने कर्म से, मानव हितों का मान करते हैं!
Read Moreकुदरत का अभिशाप हुआ है, कृषक होना पाप हुआ है। झूल रहा फांसी पर कृषक, चंहुओर संताप हुआ है। कुदरत
Read Moreतुम्हें भुला दूँ आखिर कैसे, तुमसे मन का तार जुड़ा है। तुम्हें देखकर दुनिया देखूं, तुमसे ही संसार जुड़ा है।
Read Moreचाँद को शायद चुप करने की ठानी है। इसीलिये ये बादल पानी पानी है। फ़र्क़ नहीं खेतों की गेंहू बिछ
Read Moreग़मों की आग में ये दिल, मेरा जलने लगा है। अधूरापन तुम्हारे बिन, बहुत खलने लगा है। वो जिसको गोटियां
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