ग़ज़ल : उल्फत चली गई
माँ-बाप क्या चले गये बरकत चली गई नफरत चिता में जल गई, उल्फत चली गई मिलता है जो भी पूछने
Read Moreमाँ-बाप क्या चले गये बरकत चली गई नफरत चिता में जल गई, उल्फत चली गई मिलता है जो भी पूछने
Read Moreआप हमारे घर आये क्या यह घर और पवित्र हुआ आपने रंग भरे जो इसमें, नक्शा और सचित्र हुआ जीवन
Read Moreमैं नींव का पत्थर हूँ मेरा नाम नहीं है रातें हैं मेरे नाम सुबह-शाम नहीं है सदियों से खड़े हैं
Read More