गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

नये तेवर की गजलें नित-नई मुझसे लिखाता है
मैं क्या हूँ और क्या मुझमें है वो ये भी बताता है

यहाँ संसार में मिलता है जो भी छूट जाता है
निहारूँ जब भी मैं उसको लगे जन्मों का नाता है

रहूँ मैं कैद अपने जिस्म में या डोलता घूमूँ
वो बनके मेरी परछाईं मुझे अपना बनाता है

वही तो कृष्ण है राधा का वो ही श्याम की राधा
मिलन में मुस्कराता है बिछड़ने पर रुलाता है

समझता था कि मैं ही ‘शान्त’ कहता गुनगुनाता हूँ
ये अब जाना कि वो मुझसे उतरकर खुद ही गाता है

देवकी नन्दन ‘शान्त’

देवकी नंदन 'शान्त'

अवकाश प्राप्त मुख्य अभियंता, बिजली बोर्ड, उत्तर प्रदेश. प्रकाशित कृतियाँ - तलाश (ग़ज़ल संग्रह), तलाश जारी है (ग़ज़ल संग्रह). निवासी- लखनऊ