गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 12/09/2015 गजल फ़िलबदीह की ग़ज़ल बहर ~2122 2122 2122 212 काफ़िया ~आना रदीफ़~~चाहिए। वक्त हो कैसा भी हमको मुस्कुराना चाहिए राह में Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 09/09/201509/09/2015 गजल फ़िलबदीह की ग़ज़ल के मिसरे बहर??2122 12 12 22 काफ़िया ~~आ रदीफ़ ~~नहीं कोई । जिंदगी से गिला नहीं Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 02/09/201502/09/2015 ग़ज़ल आप को रूह से चाहता कौन है पूछते तब भी हो बावफा कौन है इल्म की राह है मुश्किलों का Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 24/08/2015 ग़ज़ल मिसरा ~~ ये पहली बार जाना है ग़ज़ल भी मुस्कुराती है । बहर ~~ 1222 1222 1222 1222 काफ़िया ~~~ती Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 20/08/201520/08/2015 गजल ???????? मिसरा ~~ इतनी सीधी लिखता है सच्चाई क्यों ????????? बहर ~~2✖11 ???????? काफ़िया ~आई रदीफ़ ~~ क्यों ???????? करके Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 19/08/2015 गजल काटती थी बला ,फूंकती थी दुआ अब धरा पर कही माँ नही दोस्तों । ख़त तुम्हारे सभी जब बहाने पड़े Read More
मुक्तक/दोहा धर्म पाण्डेय 17/08/201517/08/2015 कुछ हाइकु 1 :~ सच बोलना आईने से सीखिये टूट कर भी 2:~घूरते नैंन सृष्टी देवी व्यथित छुपाये तन 3:~आत्मा जुगनूं घट Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 16/08/201517/08/2015 गजल बेंच कर के जेवरों को माँ पढ़ाती थी मुझे भर दिया दामन ख़ुशी से जब मुझे मौका मिला । चाहतो Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 12/08/201512/08/2015 गीतिका एक गीतिका लिखने का प्रयास आशाओं की सूनी राहें कोलाहल से मन हारा है राहे टेढ़ी जीवन पथ की चलता Read More
गीतिका/ग़ज़ल धर्म पाण्डेय 11/08/201511/08/2015 ग़ज़ल तप कर दुखो की आंच में कुछ तो निखर गया तू सीसा था की टूटकर जमी पर बिखर गया । Read More