लघुकथा : आँचल
मंजरी हिन्दी की पुस्तक में ‘मां का आँचल‘ कहानी पढ़ रही थी। जिज्ञासा हेतु मम्मी से पूछा, ‘‘मम्मी, आपका आँचल
Read Moreमंजरी हिन्दी की पुस्तक में ‘मां का आँचल‘ कहानी पढ़ रही थी। जिज्ञासा हेतु मम्मी से पूछा, ‘‘मम्मी, आपका आँचल
Read Moreचरित्र संस्कार शाला के प्रधान बोले, ‘‘देखिए, हमारे गुरूजी ने यह चरित्र निर्माण की पुस्तक लिखी है, आप को इसी पुस्तक
Read Moreतिलक पुरूषोत्तमजी बोले, ‘‘संध्या तो आपकी बेटी समान है, परसों हम लड़के वालों के यहां तिलक का दस्तूर लेकर जा
Read Moreश्रद्धेय अंकल प्रणाम। फोन मोबाइल ई-मेल, एस.एम.एस. के युग में यह पत्र आपको आश्चर्य चकित करेगा परन्तु मेरी जीवन यात्रा
Read More26 दिसम्बर, 1947 को जन्मा, बाबूजी (पिता) पोस्टमास्टर थे, 5 भाई-बहनों में मैं सबसे बड़ा हूँ। मेरे दादाजी झालरापाटन सिटी
Read Moreविपश्यना साधना मेडिटेशन की एक सही विधि है। शुद्ध सात्विक पवित्र, मंगलमयी, तन मन को ऊर्जा, शक्ति, हिम्मत, समता देती
Read Moreसृजन प्रकृति का नियम है। पृथ्वी पर जन्मा हर शिशु विधाता का सृजन है एवं एक विश्वास है कि ईश्वर
Read Moreबेटियाँ पीहर आती है अपनी जड़ों को सींचने के लिए तलाशने आती हैं भाई की खुशियाँ वे ढूँढने आती हैं
Read Moreमम्मी पापा की डांट का भी कैलाश पर असर नहीं होता था, नल खुला छोड़ देता, खूब पानी बर्बाद करता।
Read Moreमिली अपने मम्मी-पापा की इकलौती कन्या थी. भोली सी शकल, दुबली-पतली, पर चुलबुली मिली सबकी प्यारी थी. उस की दादी
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