गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 22/03/2020 गीतिका खेतियाँ जब जहर की करे आदमी । तो बताओ कि क्यों न मरे आदमी ? हर तरफ से प्रकृति को Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 20/03/2020 गीतिका मुझको बसंत चुभने लगा तीर की तरह । कोयल का गीत,आह भरी पीर की तरह। मस्तिष्क के गगन पे,यादों के Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 19/03/2020 गीतिका दर्द जो पिछले विदा लेते हैं। हम नया दर्द बुला लेते हैं । रोज इक आग दिल में जलती है, Read More
गीत/नवगीत *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 15/01/2020 गीत कट रहें हैं पेड़ देखो, ताल में घर बन रहे हैं , बन रहे हैं कंकरीटों के शहर, अब गाँव Read More
गीत/नवगीत *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 11/01/2020 गीत हृदय व्याकुल, नैन में घन घोर,वो आये नहीं। कोशिशें मैंने करी पुरजोर,वो आये नहीं । कोयलों ठहरों ,सुनो, मत गीत Read More
गीत/नवगीत *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 11/01/2020 गीत शीतनिशा जैसा नीरव मन । ठिठुर रहा है मन का उपवन। कठिन प्रश्न हैं,कठिन व्याकरण। पीड़ा का हिय मध्य अवतरण Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 24/12/2019 मौसमी गजल सारी राहें रोक रहा हैं, एक दीवार बना कुहरा है । हर खिड़की पर ,दरवाजे पर,सर्द हवाओं का पहरा है। Read More
गीत/नवगीत *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 21/12/2019 मर जाओगे एक दिन तुम भी मर जाओगे। मौत से बचकर किधर जाओगे। अपनों गैरों की बारातें । ये दुनियादारी की बातें। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 21/12/2019 गजल फिर हृदय में कठिन वेदना है ,सखे! मुझको तन्हा इसे झेलना है ,सखे ! इसको समझेगा कोई भला किस तरह, Read More
कुण्डली/छंद *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 21/12/2019 कुंडली तुम आई न प्रियतमे, आई निष्ठुर शीत । शूल सरीखी शीत में,घायल मेरे गीत । घायल मेरे गीत ठिठुरते हैं Read More