गीत/नवगीत *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 06/01/2017 गीत मनुज तुम्हारे इतने चेहरे ! तूने छीने कई निवाले , कुछ इतिहास बनाए काले। तूने प्यास बुझाई गहकर- बंदूकें तलवारें Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 01/01/201701/01/2017 गजल तनहाई को मीत बनाओ तो जानूँ! गम को अपने गीत सुनाओ तो जानूँ! * लौ से मिलकर जले न कोई Read More
गीत/नवगीत *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 31/12/201631/12/2016 गीत जिंदगी हर जगह बेहाल लिखूँ । या गरीबों को खस्ताहाल लिखूँ । नहीं ये बिल्कुल बेइमानी होगी, भला क्यों कर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 29/12/201630/12/2016 गजल हम पतझड़ के वीराने हैं। अपनों से हम बेगाने हैं। * यारों हमको रोना होगा, पत्थर दिल पर दीवाने हैं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 28/12/201629/12/2016 गजल (शीर्षक :अम्मा) नित नित कष्ट उठाती अम्मा। कभी नही उकताती अम्मा । * सूखे मेँ थी मुझे सुलाती , गीले मे सो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 27/12/201627/12/2016 ग़ज़ल चार दिन इस जहां में हर किसी का आशियाना है। फिर कहीं तुमको जाना है फिर कहीं हमको जाना है। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 26/12/201626/12/2016 ग़ज़ल कहीं है जलती कहीं पर भी पिघलती धरती। आग का गोला हर दिन जा रही बनती धरती । * आदमी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 24/12/201626/12/2016 ग़ज़ल जब चांद नहीं तो तारों का मतलब ही क्या? मरुथल में जवां बहारों का मतलब ही क्या? * वह का Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 23/12/201624/12/2016 ग़ज़ल सच कहने का मूल्य चुकाना पड़ता है। कांटों में भी राह बनाना पड़ता है । * अंधेरे से जंग छेड़ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 18/12/201618/12/2016 ग़जल ये अफसर भी होगा बेईमान, चंद लोगो को खबर थी । बिकेगा पैसे से ईमान चंद लोगों को खबर थी Read More