गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 29/11/2016 ग़ज़ल बहुत मनाया, वो न माने, चले गये । तोड़ के सारे ताने बाने चले गये । दादी के किस्सों मे सच्चे लगते थे, बचपन के वो राजघराने चले गये । जात, पाँत, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी 29/11/2016 ग़ज़ल नहीं गर तेरे स्तर का हूँ । बतला दो, तो फिर मैं क्या हूँ ?, तुम विद्युत क्रत्रिम प्रकाश Read More