गजल
हम पतझड़ के वीराने हैं। अपनों से हम बेगाने हैं। * यारों हमको रोना होगा, पत्थर दिल पर दीवाने हैं
Read Moreनित नित कष्ट उठाती अम्मा। कभी नही उकताती अम्मा । * सूखे मेँ थी मुझे सुलाती , गीले मे सो
Read Moreये अमावस की रातें, हमसे करती हैं बातें। छेड़ जाती हैं मन को, चाँदनी की बरातें। कुछ उजड़ते घरौंदे, टूटते
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