गजल
मुझे यक़ीन है सूरज यहीं से निकलेगायहीं घना है अंधेरा है यहीं पे चमकेगा इसीलिए तो खुली खिड़कियां मैं रखता
Read Moreसांझ घिरने लगी, दीप जलने लगे बस यही कामना आप आ जाइए। और रातें किसी भांति कट भी गयीं किन्तु
Read Moreजन संस्कृति मंच के सहयोग से ‘रेवान्त’ पत्रिका की ओर से चर्चित जनवादी गजलकार डी एम मिश्र (सुल्तानपुर) के नवीनतम
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