ग़ज़ल
ये गगन , ये धरा सब तुम्हारे लिए दिल से निकले सदा सब तुम्हारे लिए भेज दो आंधियों को हमारी
Read Moreलोकप्रिय जनवादी ग़ज़लकार डॉ डी एम मिश्र द्वारा संपादित ग़ज़ल पुस्तक * ग़ज़ल एकादश * का ‘हिंदी श्री’ के पटल
Read Moreइतना हसीं कहां मेरा पहले नसीब था तुमसे मिला नहीं था जब कितना गरीब था। मेरा जो हो के भी
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