गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 01/03/202328/02/2023 ग़ज़ल शहर ये जले तो जले लोग चुप हैं धुआं भी उठे तो उठे लोग चुप हैं ज़रा सी नहीं फ़िक्र Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 04/02/2023 ग़ज़ल जो रो नहीं सकता है वो गा भी नहीं सकता जो खो नहीं सकता है वो पा भी नहीं सकता Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 03/01/2023 ग़ज़ल मारा गया इंसाफ़ मांगने के जुर्म में इंसानियत के हक़ में बोलने के जुर्म में मेरा गुनाह ये है कि Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 02/12/2022 ग़ज़ल ग़मज़दा आंखों का दो बूंद नीर कैसे बचे? ऐसे हालात में अपना ज़मीर कैसे बचे? धर्म के नाम पे तालीम Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 08/11/202208/11/2022 ग़ज़ल बड़े वो लोग हैं किरदार की बातें करते सिर्फ़ मोबाइलों से प्यार की बातें करते। बड़ी तेजी से बदलती हुई Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 06/10/2022 ग़ज़ल मौत के बाद का किसने ज़हान देखा है कुछ कहा, कुछ सुना कोरा बयान देखा है। कोई जन्नत न मैंने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 02/09/202203/09/2022 ग़ज़ल ये गगन , ये धरा सब तुम्हारे लिए दिल से निकले सदा सब तुम्हारे लिए भेज दो आंधियों को हमारी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 03/08/2022 ग़ज़ल तमाशा देखना हो तो ज़माना दौड़ आता है लगे जब आग बस्ती में तो दरिया सूख जाता है ख़ुदा न Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 13/07/2022 ग़ज़ल पिता बनना बहुत आसां , पिता होना बहुत मुश्किल ग़मों का बोझ यह, हंसते हुए ढोना बहुत मुश्किल | यहाँ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 10/06/202207/11/2022 ग़ज़ल मेरे हिस्से की ज़मीं बंजर है करना स्वीकार मगर हंसकर है | धान बोया था उगी घास मगर सारा इल्ज़ाम Read More