गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 06/10/2022 ग़ज़ल मौत के बाद का किसने ज़हान देखा है कुछ कहा, कुछ सुना कोरा बयान देखा है। कोई जन्नत न मैंने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 02/09/202203/09/2022 ग़ज़ल ये गगन , ये धरा सब तुम्हारे लिए दिल से निकले सदा सब तुम्हारे लिए भेज दो आंधियों को हमारी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 03/08/2022 ग़ज़ल तमाशा देखना हो तो ज़माना दौड़ आता है लगे जब आग बस्ती में तो दरिया सूख जाता है ख़ुदा न Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 13/07/2022 ग़ज़ल पिता बनना बहुत आसां , पिता होना बहुत मुश्किल ग़मों का बोझ यह, हंसते हुए ढोना बहुत मुश्किल | यहाँ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 10/06/202207/11/2022 ग़ज़ल मेरे हिस्से की ज़मीं बंजर है करना स्वीकार मगर हंसकर है | धान बोया था उगी घास मगर सारा इल्ज़ाम Read More
समाचार *डॉ. डी एम मिश्र 19/05/2022 ग़ज़ल एकादश का विमोचन सम्पन्न लोकप्रिय जनवादी ग़ज़लकार डॉ डी एम मिश्र द्वारा संपादित ग़ज़ल पुस्तक * ग़ज़ल एकादश * का ‘हिंदी श्री’ के पटल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 08/05/2022 ग़ज़ल भूख पहले है कि है भगवान पहले सोचकर बतलाइए श्रीमान पहले । पूज सकते पत्थरों को भी हैं लेकिन पेट Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 04/04/202206/05/2022 ग़ज़ल आप इतने बेख़बर कैसे हुए आस्तीं में सांप क्या पाले हुए? क्या बगल में हो रहा मालूम क्या ? आप Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 06/03/2022 ग़ज़ल आंख वाले हो के भी अंधे हुए सोचिए कुछ हादसे ऐसे हुए? बेदख़ल इंसानियत होने लगी जब ज़रूरत से अधिक Read More
गीतिका/ग़ज़ल *डॉ. डी एम मिश्र 05/02/2022 ग़ज़ल जानते सब हैं बोलता नहीं है कोई भी आंख सबके है देखता नहीं है कोई भी कैसे महफ़ूज रहेगी ये Read More