चलो फिर समर में
ग़ज़ल चलो फिर समर में उतरते हैं हम भी ज़माने की सूरत बदलते हैं हम भी अंधेरों ने बेशक हमें
Read Moreग़ज़ल चलो फिर समर में उतरते हैं हम भी ज़माने की सूरत बदलते हैं हम भी अंधेरों ने बेशक हमें
Read Moreपर्वत जैसे लगते हैं बेकार के दिन हम भी काट रहे हैं कारागार के दिन रोशनदानों पर मकड़ी के जाले
Read Moreछूट गया घर तब जाना घर क्या होता है कोरोना ने दिखलाया डर क्या होता है सारे सपने मेरे भी
Read Moreयूँ अचानक हुक्म आया लाॅकडाउन हो गया यार से भी मिल न पाया लाॅकडाउन हो गया बंद पिंजरे में किसी
Read Moreझील में खिलते कमल दल की कतारों की तरह तुम हसीं लगती हो बर्फीले पहाड़ों की तरह चांदनी आयेगी,खेलेगी कभी
Read Moreबवंडर उठ रहा है क्या तुम्हें इसकी ख़बर भी है तबाही से डरे हैं लोग घबराहट इधर भी है मेरी
Read Moreउडी़ ख़बर कि शहर रोशनी में डूबा है गया क़रीब तो देखा कि महज़ धोखा है बडे़ घरों की खिड़कियाँ
Read Moreमेरी आँखों से उसे दरिया बहाना आ गया अब उसे कमज़ोर नस मेरी दबाना आ गया वो हमारी शक्ल पर
Read Moreगमे आशिक़ी ने सँभलना सिखाया समंदर में गहरे उतरना सिखाया अकेले थे पहले बहुत खुश थे लेकिन तेरी आरज़ू़ ने
Read Moreगरीबी से बढ़कर सज़ा ही नहीं है सुकूँ चार पल को मिला ही नहीं है कहाँ ले के जाऊँ मैं
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