ज़िन्दगी को समझने में देरी हुई
ज़िन्दगी को समझने में देरी हुई चोट खाकर संभलने में देरी हुई हाथ पर हाथ धरकर मैं बैठा रहा उनके
Read Moreज़िन्दगी को समझने में देरी हुई चोट खाकर संभलने में देरी हुई हाथ पर हाथ धरकर मैं बैठा रहा उनके
Read Moreमैं तेरी सादगी पे मरता हूं तुझको दिल के करीब रखता हूं। मेरी दुनिया तुझी से रंगी है तुझ पे
Read Moreसामने गर हो किनारा तो बहुत कुछ शेष है हौसला ज़िंदा तुम्हारा तो बहुत कुछ शेष है मुश्किलें देता है
Read Moreग़रीबी से बढ़कर सज़ा ही नहीं है सुकूँ चार पल को मिला ही नहीं है कहाँ ले के जाऊँ मैं
Read Moreकिसी के पास में चेहरा नहीं है किसी के पास आईना नहीं है हमारा घर खुला रहता हमेशा हमारे
Read Moreग़ज़ल चलो फिर समर में उतरते हैं हम भी ज़माने की सूरत बदलते हैं हम भी अंधेरों ने बेशक हमें
Read Moreपर्वत जैसे लगते हैं बेकार के दिन हम भी काट रहे हैं कारागार के दिन रोशनदानों पर मकड़ी के जाले
Read Moreछूट गया घर तब जाना घर क्या होता है कोरोना ने दिखलाया डर क्या होता है सारे सपने मेरे भी
Read Moreयूँ अचानक हुक्म आया लाॅकडाउन हो गया यार से भी मिल न पाया लाॅकडाउन हो गया बंद पिंजरे में किसी
Read Moreझील में खिलते कमल दल की कतारों की तरह तुम हसीं लगती हो बर्फीले पहाड़ों की तरह चांदनी आयेगी,खेलेगी कभी
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