खुला आकाश भी था सामने माक़ूल मौसम था
खुला आकाश भी था सामने माक़ूल मौसम था मगर अफ़सोस है उड़ने का उसमें हौसला कम था बहुत मुश्किल था
Read Moreखुला आकाश भी था सामने माक़ूल मौसम था मगर अफ़सोस है उड़ने का उसमें हौसला कम था बहुत मुश्किल था
Read Moreमाँ तू कैसे जा सकती है तेरी यादें ज़िंदा हैं मेरी आँख खोलने वाली तेरी आँखें ज़िंदा हैं उठो लाल
Read Moreसबके समक्ष हाथ पसारा नहीं जाता जो दर्द व्यक्तिगत हो वो बाॅटा नहीं जाता आता है सुअवसर कहाँ जीवन में
Read Moreआधी रात को सारा आलम सोता है एक परिन्दा डाल पे तन्हा रोता है कितने दर्द पराये , कितने अपने
Read Moreछुपाकर कोई काम करते नहीं हैं मगर सबसे हर बात कहते नहीं हैं बड़ा नाज़ है हमको अपनी अना पर
Read Moreबेला, जुही, चमेली, चम्पा, हरसिंगार लिख दे कैसे कोई शायर पतझर को बहार लिख दे उसको खुदा ने आँखें दी
Read Moreबहुत -सा काम बंदों का स्वयं भगवान करता है मगर तारीफ़ अपनें मुॅह से हर नादान करता है । बडे
Read Moreज़हरीले साँपों से बचना मुश्किल है छल करने वालों से बचना मुश्किल है । ना कहने वालों का साफ जवाब
Read Moreदिल से जो लफ्ज निकले उसे प्यार बना देना पर आँख से जो बरसे अंगार बना देना। तन्हा हॅू निहत्था
Read Moreजन्नत में आँगन की ख़ुशबू मिलती है कि नहीं ईश्वर को भी माँ की जरूरत पड़ती है कि नहीं। लाख
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