कविता
तुमने देखा है क्या कभी खाली कटोरे में बसंत उतरता हुआ ? नही — तो देखो इस गंगा के पानी
Read Moreजूड़े में टाँक लिया करती हु अपनी बेबसी , अपने दर्द और टूटी उम्मीदें रबड़ से अच्छी तरह बांध कर
Read Moreकल रात तुम आये थे! कितना असहज सी हो गयी थी, पल दो पल को ! जानती हूं जरूर कोई
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