राजनीति के खेल निराले
राजनीति के देखो भाई खेल निराले होते हैं धर्म मजहब में बाट दिया और फील गुड कराने लगते हैं नौकरी
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Read Moreधरती अम्बर एक सी लहू भी सबका एक का सा फिर भी इंसान क्यों बंटता चला गया सरहदे बंट गयी
Read Moreबर्फ की जिंदगी कितनी कठिन होती है हर समय पत्थर बने रहना, धूप की जब किरणे परी तो पिघलना शुरू
Read Moreबचपन की यादें कितनी अच्छी होती हैं आज उन यादों को ताजा करना अच्छा लगता है कहा खो गया वो
Read Moreऐ वीर जवानों उठ जाओ भारत माँ ने ललकारा है. अब बहुत हो चुका कतले – आम अब सबने ललकारा
Read Moreगाँधी व शास्त्री तुम कहा गए आज आपकी जरुरत फिर भारत माँ को है हर तरफ अराजकता का बोलबाला है
Read Moreजीवन क्या है? पानी का बुलबुला तो है पाँच तत्वों से मिलकर बना ये जीवन कब मिटटी में मिल जायेगा
Read Moreचाँद कहता है मुझसे आदमी क्या अनोखा जीव है उलझन खुद पैदा करता है फिर न सोता है, और मुझसे
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