बसन्त पंचमी-दोहा मुक्तक
भौरों का गुंजन मधुर, कोकिल गाती गीत पुष्प सजीले खिल उठे, चली सदन को शीत। स्वागत करते हैं सभी, आये
Read Moreभौरों का गुंजन मधुर, कोकिल गाती गीत पुष्प सजीले खिल उठे, चली सदन को शीत। स्वागत करते हैं सभी, आये
Read Moreविरह का गान लिखता हूँ ह्रदय उपमान लिखता हूँ गए सब छोड़कर अपने जली बाती भरे सपने। दिए की ज्योति शुभ
Read Moreकशमकश भरी जिंदगी आपाधापी और उठापटक के बीच कभी वक्त ही न था जिन्दगी के पास सुहाने स्वप्नों को सजाते
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