गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

ढले जब शाम आ जाना
मिले पैगाम आ जाना ।

जो तन्हाई में आ जाये
जुबां पे नाम आ जाना।

बौराई है शाख शाख,
पके फिर आम आ जाना ।

जमीं पर जब कोई पुछे,
चाँद का नाम आ जाना ।

मेरे हर दर्द के मरहम,
बन के आराम आ जाना।

मिले आगाज को मेरे ,
कोई अंजाम आ जाना ।

बिन तेरे मेरे हमदम,
हुए गुमनाम आ जाना ।

करनी है “मन ” की बातें,
आपके नाम आ जाना।

— गीता गुप्ता ‘मन’

गीता गुप्ता 'मन'

पति का नाम-मनीष गुप्ता पता-ग्रा-राधागंज पत्रा-बिहार जि-उन्नाव उत्तरप्रदेश शैक्षिक योग्यता-एम ए, बी एड,