बाल कविता
मां! मैं भी कृष्ण बन जाऊंगा मां ! माथे पर तिलक लगा देंछोटी – सी चोटी बना दें।मोर मुकुट शीश
Read Moreघर – घर बाजें मधुर शहनाईजन्में नटखट कृष्ण कन्हाई।जन – मन में छाया हर्षोल्लासनगर-नगर बांटी मिश्री मिठाई।। सजी-धजी मोहक मथुरा
Read Moreजकड रहें है सवाल मुझकोनिगल गया ये जाल मुझको ।ढ़ल न सका समय के साथबस ये एक मलाल मुझको ॥ऐ
Read Moreकहाँ जाएगे वन के जानवरउजड़ जाएंगे जब हमारे घर ।जंगल हीं हमारा घर-बाहरजंगल से हीं है मंगल रहबर ॥ जंगल
Read Moreआओं हम पेड़ लगाएधरा हरी – भरी बनाएं ।की जो गलतियां हमनेउसका पश्चाताप मनाएं ॥ आओं हम पेड़ लगाएंखट्टे –
Read Moreपर्यावरण के सामने , संकट है गंभीरप्रदूषित हो गए है आज हवा,थल,नीर ।। चला रहें पेडों पर ऑरी,कुल्हाड़ी,तीरस्वार्थ में खो
Read Moreसूर्य प्रचंडता की बढ़ी उच्च डिग्री लू लपेट संग लग रही गर्मी । पेड़ो से गुम हो गई है छांव
Read Moreकोटि – कोटि नमन है, बुध्द तुमको सुख-शांति-सहनशीलता दो सबको । अहिंसा परमों धर्म बन जाएं सबका स्वच्छ स्वस्थ बना
Read Moreघर से निकले सिद्धार्थ राजपाठ का छोड़ स्वार्थ । बोधिसत्य की खोज में दिया संदेश करों परमार्थ ।। सिध्दार्थ से
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