मेरी कहानी 68
कराची से हम चल चुके थे .वोह पाकिस्तानी लड़का मेरे साथ बैठा था लेकिन वोह इतना नहीं बोल रहा था
Read Moreकराची से हम चल चुके थे .वोह पाकिस्तानी लड़का मेरे साथ बैठा था लेकिन वोह इतना नहीं बोल रहा था
Read Moreएक दिन बहादर मुझे मिला और मैंने उसे पासपोर्ट के बारे में पुछा तो वोह कुछ परेशान सा लग रहा
Read Moreपासपोर्ट ऑफिस में बहुत लोग बैठे थे और दस मिनट तो हर एक को अफसर से बातें करने में लग
Read Moreतहसीलदार का काम हो गिया था और यह बड़ा काम था किओंकि मैंने सुन रखा था कि यह तहसीलदार बहुत
Read Moreट्रैवल एजैंट के दफ्तर से निकल कर और कुछ मठाई ले कर मैं गाँव आ गिया लेकिन मैंने माँ को
Read Moreहरबंस सिंह के बेटे मोहन को कैम्ब्रिज से डिग्री मिली थी। घर में बहुत खुशीआं थीं। इस ख़ुशी में हरबंस
Read Moreकोई वक्त था जब बिदेसों में लोग बहुत कम जाया करते थे। मेरे प्राइमरी और मिडल स्कूल के ज़माने में
Read Moreनंदेड़ हज़ूर साहब देखने के बाद हम मुंबई के लिए ट्रेन में बैठ गए। सफर लम्बा था। मुंबई पहुंच कर
Read Moreआगरे का टूर खत्म हो गया था और सुबह उठते ही हम जयपुर के लिए ट्रेन में बैठ गए। कितने
Read Moreसुबह उठे , खाना खाया और कोच की इंतज़ार करने लगे। कुछ देर बाद जब कोच आ गई तो हम
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