अकेला रोता हूँ
मैं नित-रोज अकेला छुप-छुपकर, दुनिया से अकेला रोता हूँ।बीती उन यादों की मस्ती को, अब गीत बनाकर गाता हूँ।अफसोस बचा
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Read Moreरघुनाथगढ़ सीकर। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के शोधार्थी राजेश कुमार बिंवाल को मिली पीएचडी की उपाधि। विश्वविद्यालय के शोध केन्द्र
Read Moreजन्म और मरण के बीच जगत में जो कुछ भी सत्य है वही भौतिक जीवन है। जीवन को जीने के
Read Moreशिक्षा मन के विचारों की अभिव्यक्ति को यांत्रिक या व्यवहारिक रूप से सामाजिक पृष्ठभूमि प्रदान करने का सशक्त माध्यम है।
Read More‘जपो निरंतर एक जबान, हिंदी, हिंदू,हिन्दुस्तान’ प्रताप नारायण मिश्र जी की ये पंक्ति आज भी राष्ट्रवादियों का आह्वान करती है। राष्ट्रवाद उत्थान,राष्ट्रीय
Read Moreनींद में करवटें बदली खूब स्वप्न में उत्तेजना ये कैसी…! चित्र-विचित्र, अजीब उलझन रोम-रोम में अजीब अकड़न। अकस्मात! एक बेतरतीब
Read More️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️शब्दों की अदालत में प्रजातंत्र गिरफ्तार है मुजरिम की तरह वादों की हथकड़ियाँ टूटती नहीं भाषणवीरों की जीभ घिसती नहीं
Read Moreजिस ओर उठाये मुँह चल दूँगा, कदम फिर लौट के न आयेंगे। फासलें मिट जायेंगे साँसों के, हम खुद से
Read Moreघिर आती जीवन में पीड़ा मन में मंद चिंता का घेरा पथ विचार उलझ जाता सूझ न पड़ती कोई राह
Read Moreमैं क्या हूँ!कुछ नहीं! बस! एक मरीज हूँ जिसके साथ भावना नहीं डॉक्टर के लिए पैसा हूँ। समाज का अपराधी
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