कविता

हम आज आखिरी रोयेंगे

जिस ओर उठाये मुँह चल दूँगा,
कदम फिर लौट के न आयेंगे।
फासलें मिट जायेंगे साँसों के,
हम खुद से ही मिल न पायेंगे।।
प्रण आखिरी जाने से पहले,
जो शेष बचा है वो भी खोयेंगे।
पल भर की मस्ती की खातिर,
हम आज आखिरी रोयेंगे।।
बचा सके न आँसू बहने से,
प्रवाह में बहते-बहते जायेंगे।
अच्छा है पीड़ा का आलम,
चोट नई-नईं खाते जायेंगे।।
अटक जाती वाणी कंठ में,
आँख-नाक बहते जायेंगे।
पल भर की मस्ती खातिर,
हम आज आखिरी रोयेंगे।।
— ज्ञानीचोर

ज्ञानीचोर

शोधार्थी व कवि साहित्यकार मु.पो. रघुनाथगढ़, जिला सीकर,राजस्थान मो.9001321438 ईमेल- binwalrajeshkumar@gmail.com