गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 21/05/2021 ग़ज़ल इश्क का गर सफीर हो जाता । नाम फिर मुल्कगीर हो जाता। जाने कब का अमीर हो जाता। बस ज़रा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 16/05/2021 ग़ज़ल आज ढांचा बहुत ही जर्जर है। हर तरफ मौत का यूं मंजर है। हार पचती नहीं ज़रा सी भी, उठ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 13/05/2021 ईद में प्यार का डोज कुछ दो बढ़ा ईद में। भूलकर यार शिकवा गिला ईद में। कुछ न भाया सनम के बिना Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 25/04/2021 ग़ज़ल वो कभी दर ब दर नहीं होते। लोग जो बे खबर नहीं होते। गर खुले जानवर नहीं होते। खेत ज़ेरो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 30/03/2021 होली में है अजब सब का हाल होली में। रंग से लाल गाल होली मैं। करते फिरते धमाल होली में। बदली बदली Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 18/03/2021 ग़ज़ल जाम उल्फत का अपनी पिला दो हमें। प्यार करते हैं कैसे बता दो हमें। इक नये अब जहां में बसा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 08/03/2021 ग़ज़ल शादी की रात खूब सजाया गया मुझे। ताउम्र उसके बाद रुलाया गया मुझे। कल खूब ज़ुल्म जोर दिखाया गया मुझे। Read More
कविता *हमीद कानपुरी 04/03/2021 सियासत—- रियासत—- विरासत बाँटती जो फिर रही है धर्म के आधार पर, खूब जमकर हमलड़ेंगे उस सियासत के खिलाफ। हर तरफ फैला रही Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 04/03/2021 ग़ज़ल खूब पीता शराब है फिर भी। उसका लीवर खराब है फिर भी। मुफ़लिसी में पली बढ़ी है वो, हुस्न पर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 23/02/2021 ग़ज़ल सुकूं से भरें कुछ जहां और भी है। जो रखते हैं अम्नो अमां और भी हैं। महज एक बाजी ही Read More