ग़ज़ल
जश्न मिलकर फिर मनाने आ गये। प्यार का दरिया बहाने आ गये। ऐशो इशरत के ज़माने आ गये। हाथ मेरे
Read Moreअब मत हरगिज़ ढूढिये, पहले वाली बात। चाल चलन बदले सभी,बदल गये हालात। ख़ुद्दारी को भूलकर , करते हैं फरियाद।
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