गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 16/06/202416/06/2024 ग़ज़ल कहीं दिल किसी से लगाने से पहले।कभी पूछना मत ज़माने से पहले। इलेक्शन भी लड़ना पड़ेगा यक़ीनन,ज़रा सोच लेते सताने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 13/06/202413/06/2024 ग़ज़ल सालों से जिन से प्रीत लगाए हु ए है हमइक पल में उनसे आज पराये हु ए है हम उड़ते Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 01/06/202401/06/2024 ग़ज़ल टूट कर कल को बिखरने के लिए।फूल खिलतें हैं महकने के लिए। एक पल भी होश खोते ही नहीं,हम कहाँ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 23/05/202423/05/2024 ग़ज़ल नया ताज़ा फ़साना चाहता हूँ।विगत को भूल जाना चाहता हूँ। सुगम रस्ता बनाना चाहता हूँ।सभी काँटे हटाना चाहता हूँ। नहीं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 20/05/202420/05/2024 ग़ज़ल सत्य को ख़ूब छान लेते हैं। जब किसी का बयान लेते हैं। नाप सारा जहान लेते हैं। जब परिन्दे उड़ान Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 05/05/202405/05/2024 ग़ज़ल ग़म नहीं गर भला सा मुकद्दर न हो। दिल के अन्दर मगर कोई भी डर न हो। सच कहे कौन Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 02/05/202402/05/2024 ग़ज़ल कर इबादत फ़क़त इक ख़ुदा के लिए। हाथ अपने उठा फिर दुआ के लिए। अपने रब की सदा ही रज़ा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 20/04/202420/04/2024 ग़ज़ल उससे बनती नहीं हमारी है। अगर ज़ालिमों संग यारी है। डर के रहना नहीं कभी सीखा, शेर सी ज़िंदगी गुज़ारी है। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 06/03/202406/03/2024 ग़ज़ल नहीं छल कपट की सियासत रही है।हमारी पुरानी रिवायत रही है। नये केस में जो घसीटा गया हूँ,किसी की यक़ीनन Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 11/02/202411/02/2024 ग़ज़ल हिफ़ाज़त की जो कसमें खा रहे हैं। दुकानो घर वही जलवा रहें हैं। मुसीबत को बढ़ाते जा रहे हैं। मुसलसल Read More