ग़ज़ल
पा नहीं सकता कहीं सम्मान है। खूबियों से गर कोई अंजान है। रोज़ चलता इक नया अभियान है। क्यूँ भला
Read Moreलफ़्फ़ाज़ों के हम नहीं, बन सकते हमराज़। करना होगा अब हमें , एक नया आग़ाज़। गाता अपना गीत हूँ ,
Read Moreबदअमनी का हर तरफ,लगा हुआ अम्बार। घोड़े अपने बेच कर , सोता चौकी दार। समझाये कोई मुझे , मँहगाई का
Read Moreबाल न बांका हो कभी, टूटे ज़रा न आस। पालन हारे पर रखे , मानव जो विश्वास। झेलेंगे हमले नये
Read More