गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 07/11/2019 ग़ज़ल उस पे मुझको तनिक भी भरोसा नहीं। जिस ने अच्छा कभी भी परोसा नहीं। तुम जिन्हे चाहते हो मिटाना यहाँ, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 30/10/2019 ग़ज़ल नशीली तेरी जब नज़र साथ होगी। मुहब्बत की तब रहगुज़र साथ होगी। रहेगी ये मस्ती यूँ ही ज़िन्दगी भर, क़दम Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 27/10/2019 ग़ज़ल नफ़रतों के दर हिलाना चाहता हूँ। मुल्क को फिर जगमगाना चाहता हूँ। दिल नहीं हरगिज़ दुखाना चाहता हूँ। वो मनायें Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 20/10/2019 ग़ज़ल नज़र से नज़र को बचाकर तो देखो। नज़र से नज़र तुम चुराकर तो देखो। लड़ो मत सदा निर्बलों से लड़ाई, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 17/10/2019 ग़ज़ल मुहब्बत की ज़रूरत है। ये इक तन्हा हक़ीक़त है। बुलन्दी पर कहाँ थी कल, कहाँ आखिर मईसत है। नहीं कहते Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 10/10/2019 ग़ज़ल आदमी गर ज़हीन है तो है। सबको उसपर यक़ीन है तो है। सोचता वक़्त से बहुत आगे, सोच उसकी नवीन Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 09/10/2019 ग़ज़ल हर तरफ पैदा करे डर कौन है। माॅब लिंचर यां सितमगर कौन है। हार को स्वीकारता हरगिज़ न जो, दिलकेअन्दर Read More
मुक्तक/दोहा *हमीद कानपुरी 29/09/2019 हमीद के दोहे आत्म प्रसंशा से नहीं, बनती है पहचान। सब करते तारीफ जब,तब मिलता सम्मान। पुख्ता होती है तभी, रिश्तों की बुनियाद। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 27/09/2019 ग़ज़ल ज़हनो दिल को संवारती आँखें। आरती सी उतारती आँखें। अब भी लगतीं पुकारती आँखें। तेरी दिलकश शरारती आँखें। देख Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 25/09/2019 ग़ज़ल बाढ़ में सब बहा देखते देखते। क्या से क्या हो गया देखते देखते। सुब्ह निकला जला राह अपनी चला, शाम Read More