ग़ज़ल
जो हमको ज़माने से अब तक मिला है। ज़माने को हमने वही तो दिया है। कहीं कुछ बुरा तो यक़ीनन
Read Moreनहीं मिल सका आम जनता को कुछभी, हमें बस सुनाये बजट के बतोले। किया तेल महँगा भरी ज़ेब अपनी,
Read Moreहार नहीं सकते कभी , मन में ले विश्वास। जीत नहीं सकते कभी,शंका के बन दास। नागिन सी डसती रही,उसको
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