गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 23/02/2022 ग़ज़ल अब करो ऐसी सियासत। हाथ अपने हो क़यादत। रोज़ करते जो मशक्कत। माँगते वो कब रियायत। जो नहीं करतेहैं ख़िदमत। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 10/02/2022 ग़ज़ल है पहले ही दिन से अगर बेकली, कटेगी भला किस तरह ज़िन्दगी। मुसीबत नयी सामने आ खड़ी। पुरानी नहीं मिल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 08/02/2022 ग़ज़ल देखना चाहता पग बढ़ाते हुए। इस तरह मत चलो डगमगाते हुए। सब्र दिल का हमीद आज़माते हुए। बात करते रहे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 24/01/2022 ग़ज़ल क़दम नव बढ़ाना नये साल में। जहां जगमगाना नये साल में। अँधेरे भगाना नये साल में। दिये मिल जलाना नये Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 13/01/2022 ग़ज़ल रक़ीबों की हिमायत हो रही है। खुली अब तो बगावत हो रही है। बढ़ाता हाथ सदक़े की तरफ़ जो, खqदा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 08/01/2022 ग़ज़़ल हद से ज़्यादा बढ़ गयीं गुस्ताखियाँ। छोड़ भी दो अब सनम नादानियाँ। चैन अब लेने न दें बेताबियाँ। बढ़ रहीं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 20/12/2021 ग़ज़ल उस रोज़ तानाशाह बड़ा भाग जायेगा। जिसरोज़ कुल अवाम यहाँ जाग जायेगा। सोया हुआ नसीब तेरा जाग जायेगा। लेकर अगर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 15/12/2021 ग़ज़ल नज़र की हदों तक हैं दिखते बवाले। वतन कर दिया दर्दों ग़म के हवाले। दिखाते फिरें धाक अपनी अडानी, ग़रीबों Read More
गीतिका/ग़ज़ल *हमीद कानपुरी 10/12/2021 ग़ज़ल नहीं एक इंची ज़माना किसी का। न क़ुदरत का कोई ख़ज़ाना किसी का। सुकूं चैन दिल का मेरे ले गया Read More
मुक्तक/दोहा *हमीद कानपुरी 07/12/202107/12/2021 हमीद के दोहे जीवन है मुश्किल भरा,हर पग है पुरख़ार। दिल दीवाना ये नहीं, माने फिर भी हार। संसद से मैदान तक, हर Read More