गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 15/02/202515/02/2025 0 Comments ग़ज़ल कितना झूठ है, कितना सच,आधा झूठ है, आधा सच। झूठ के बाँट रखे काँटे पर,हमने तोलके लिक्खा सच। चूहे झूठ Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 24/01/202524/01/2025 ग़ज़ल जो हंस के जियोगे झमेला नहीं है,ये जीवन की राहें है खतरा नहीं है। चलेगें सदा साथ सुख- दुख हमारे,सिवा Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 19/12/202419/12/2024 ग़ज़ल वो जान तो गया, मुझे पहचान तो गया,कुछ देर के लिये वो कहा मान तो गया। थोड़ी लगी है देर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 28/11/202428/11/2024 ग़ज़ल कोई कर के वो भूल आया है,शोहरतें कर के धूल आया है। जिसकी कांटों के जैसी फितरत वो।आज बनकर के Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 15/10/202415/10/2024 ग़ज़ल चाह जिसकी थी वो मिला ही नहीं,हक कभी फैसला हुआ ही नहीं। नाखुदाओं से भर गई बस्ती,अब कहीं एक भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 18/09/202418/09/2024 ग़ज़ल महज़ नज़र का धोखा है,ये न समझ के मौका है। किसने राहें आसां की,किसने रस्ता रोका है। इक कतरे ने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 26/08/202426/08/2024 ग़ज़ल ज़िंदगी बेहिसाब देखेंगे,आज पी के शराब देखेंगे। लोग कहते हैं, है बुरी दुनिया,हम भी होकर ख़राब देखेंगे। आपने खूब हमें Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 17/07/202417/07/2024 ग़ज़ल मुस्कुराहट और खुशी है हर तरफ।कोई तो फिर भी कमी है हर तरफ। मौत के ड़र से उबरकर देखिये,ज़िंदगी ही Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 01/07/202423/06/2024 ग़ज़ल रंग कितने बदल गया पानी,हाथ से अब निकल गया पानी। कोई गढ्ढा हो ताल, सागर हो,घर हो कैसा भी पल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 07/06/202407/06/2024 ग़ज़ल कल की चिंता आज नहीं,अंत है ये आग़ाज़ नहीं। फ़ितरत है शीशे जैसी,अपने दिल में राज़ नहीं। माँ, बाबा की Read More