गीतिका
मातृभूमि पर शीश झुकाऊं ये गगन, ओढ लूं आज, एक तिरंगा बदन लपेटूं अपना वतन, ओढ लूं आज! अम्नो-अमान हो
Read Moreदो घडी को पास आओ, हो सके तो, या कभी हमको बुलाओ, हो सके तो! कबसे है रुठा हुआ सा
Read Moreदौड़ आएगी पुकारो, ज़िन्दगी राह में तेरी हज़ारों, ज़िन्दगी! ख़्वाब मेरे आसमां पर जा बसे अब उन्हें नीचे उतारो, ज़िन्दगी!
Read Moreदोस्त बस दो चार मिलेगें, दुश्मन कई हज़ार मिलेेगें! भूलना चाहा हरदम जिन्हे, हर मोड पर हरबार मिलेगें! आंख, मुंह
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