गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 12/01/202412/01/2024 ग़ज़ल आस लगा के रक्खी है,जान फंसा के रक्खी है। डरते नहीं हैं दुश्मन से,आँख मिला के रक्खी है। बरसों से Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 03/01/202403/01/2024 ग़ज़ल सभी पागल, दीवाने लग रहे हैं।ये मौसम आशिकाने लग रहे हैं। मुझे है इश्क़ ये कहने में तुमको,यहाँ कितने ज़माने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 16/12/202316/12/2023 ग़ज़ल हक़ीक़त से कोई जुदा हो न जाए,ये डर भी है सबको पता हो न जाए। भटककर ख़ुदी अपने भीतर की Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 08/12/202308/12/2023 ग़ज़ल आधी साँसें, आधा तू है,मुझमे थोड़ा ज़्यादा तू है। आता क्यूँ है बहकावे में,दिल मेरे क्या बच्चा तू है। सुनता Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 25/10/202325/10/2023 ग़ज़ल मिट्टी के इस लगाव ने छोड़ा नहीं अभी,आकर शहर भी गांव ने छोड़ा नहीं अभी। मंज़िल की राह में न Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 23/09/202323/09/2023 ग़ज़ल पूछो कोई ग़म है क्या?फिर देखो मरहम है क्या? हंसते चेहरों में ढूंढो,आँख किसी की नम है क्या? इक दूजे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 12/08/202312/08/2023 ग़ज़ल रोग तबियत में पुराना आ गया,लोग ये समझे दीवाना आ गया। याद तन्हाई में आई जब कभी,इन लबों को गीत Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 09/07/2023 ग़ज़ल सच से कोई जुदा न हो जाए, झूठ का सिलसिला न हो जाए। खामखां आ गया हूंँ महफिल में, अब Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 14/05/2023 माई कभी कुछ नहीं बोली, माई, हरदम रही अबोली, माई! सबके साथ वो हंसी मगर, बंद कमरे में रो ली, माई! Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 01/04/202329/03/2023 ग़ज़ल नींद से उसने जगा रक्खा है। अपने नज़दीक बिठा रक्खा है। रूबरू आज उसको देखेंगे, जिसको नज़रों में बसा रक्खा Read More