गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 25/05/202425/05/2024 ग़ज़ल दूर होकर करीब ज़िंदा है।मेरे भीतर नसीब ज़िंदा है। पढ़ रहा जो मुझे किताबों सा,कोई अब भी अदीब ज़िंदा है। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 10/04/202410/04/2024 ग़ज़ल आपकी नज़रें, नज़ारा खूब हंगामा हुआ।और फिर कात़िल इशारा खूब हंगामा हुआ। इश्क़ के इस खेल में कुछ भी पता Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 08/03/202408/03/2024 ग़ज़ल ख़ुद को ही अब ज़रा सा संभालें चलो,आज गर्दिश से ख़ुद को निकालें चलो।क्या पता कौन सी, कैसी करवट गिरे,एक Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 01/02/202430/01/2024 ग़ज़ल कुछ मैं रखूंगा, तुम रखोगे कुछ संभाल कर,रक्खी है छत पे धूप में यादें निकाल कर। हक में हमारे ये Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 12/01/202412/01/2024 ग़ज़ल आस लगा के रक्खी है,जान फंसा के रक्खी है। डरते नहीं हैं दुश्मन से,आँख मिला के रक्खी है। बरसों से Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 03/01/202403/01/2024 ग़ज़ल सभी पागल, दीवाने लग रहे हैं।ये मौसम आशिकाने लग रहे हैं। मुझे है इश्क़ ये कहने में तुमको,यहाँ कितने ज़माने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 16/12/202316/12/2023 ग़ज़ल हक़ीक़त से कोई जुदा हो न जाए,ये डर भी है सबको पता हो न जाए। भटककर ख़ुदी अपने भीतर की Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 08/12/202308/12/2023 ग़ज़ल आधी साँसें, आधा तू है,मुझमे थोड़ा ज़्यादा तू है। आता क्यूँ है बहकावे में,दिल मेरे क्या बच्चा तू है। सुनता Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 25/10/202325/10/2023 ग़ज़ल मिट्टी के इस लगाव ने छोड़ा नहीं अभी,आकर शहर भी गांव ने छोड़ा नहीं अभी। मंज़िल की राह में न Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 23/09/202323/09/2023 ग़ज़ल पूछो कोई ग़म है क्या?फिर देखो मरहम है क्या? हंसते चेहरों में ढूंढो,आँख किसी की नम है क्या? इक दूजे Read More