गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 26/10/2019 ग़ज़ल दिल को जोड़, नफ़रत छोड़। पास है मंज़िल, सरपट दौड़। झूठ, दिखावा, लगी है होड़। मेहनत कर, पत्थर फोड़। चल Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 25/09/2019 ग़ज़ल दिन करता है रात की चुगली, इक, दूजे के साथ की चुगली। छिपते नहीं हैं, लाख छुपाएं, शक्ल करे हालात Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 12/09/2019 ग़ज़ल तू मिले, तेरा घर मिले मुझको, ज़िंदगी फिर अगर मिले मुझको। पत्थरों को बना दूं, इंसा सा, काश ऐसा हुनर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 28/08/2019 ग़ज़ल बीते दिन को याद करता हूं सिहर जाता हूं मैं, कुछ कदम चलता हूं जाने क्यूं ठहर जाता हूं मैं। Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 28/08/2019 ग़ज़ल इश्क़ में और आशिकी में हम, गुम हैं अपनी ही शायरी में हम। एक तारीख जैसे लिख्खें हैं, खुद हमारी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 18/07/201916/09/2019 ग़ज़ल पार दरिया के मेरा है घर मगर सबसे अलग, हर घड़ी तूफान का रहता है डर सबसे अलग। झूठ, मक्कारी, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 15/06/201915/06/2019 गीतिका कौन है चोर कैसे हम जाने, कौन सिरमौर कैसे हम जाने। झूठे अभिमान के पीछे उसके, किसका है ज़ोर कैसे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 31/05/201901/06/2019 ग़ज़ल जब इश्क़ के असर में रहा। बहुत सबकी नज़र में रहा, यार मेरे पत्थर, पर उनके, संग शीशे के घर Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 13/03/2019 ग़ज़ल कुछ अपने हैं पराए कुछ खड़े हैं, मगर जो साथ दे बस वो बड़े हैं। कभी भी वो नहीं माने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 23/02/2019 ग़ज़ल जाने कितने सवाल रखता है। खूब सिक्के उछाल रखता है। यार मतलब से भरी दुनिया में, कौन किसका ख़्याल रखता Read More