गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 22/05/2018 ग़ज़ल चारों और अंधेरा देखा दूर बहुत सवेरा देखा! मज़बूरों का फुटपाथों पे, मैने रेन- बसेरा देखा! बिखरे सब परिवार मिले, Read More
गीत/नवगीत *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 09/04/2018 गीत मेरी विधा से इतर एक प्रयास,,,,,,, दिन के बाद रात का आना ये सच है, ये अटल भी है, तेरे Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 06/03/2018 ग़ज़ल कौन मुर्दा, कौन जिंदा है, यहां पर, कौन कितना नेक बंदा है, यहाँ पर! छीन ली इज्जत ये, किसने नारियों Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 25/02/2018 ग़ज़ल दर्द के आसपास,, रहने दे, थोडा दिल को उदास,, रहने दे! कोई क़ातिल नहीं तुम्हारे सिवा, बेसबब ये तलाश,, रहने Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 20/01/201820/01/2018 ग़ज़ल हादसों, किस्मतों के ये मारे, हुए, रुप फिर भी थे अपने संवारे, हुए! एक अरसा हुआ ज़िंदगी में यहां, वक्त Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 14/12/2017 ग़ज़ल आज से सबकी किस्मत पढ़ी जाएगी यूं कहें सबकी नीयत पढ़ी जाएगी टूटेगें सब भरम किसमेो कितना है दम आजमाऐंगे हिम्मत पढ़ी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 18/11/2017 ग़ज़ल यहां हम डूबने को तैयार, बैठे हैं, वो साहिल पर लिये पतवार, बैठे हैं! हमारे दिल में क्या है कैसे Read More
गीत/नवगीत *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 09/10/2017 गीत : ये कविता मेरी है श्वेत, धवल, उजले आंगन पर मैने, इक कलम कुछ स्याही लेकर, अन्तर्मन के अंतर्द्वंद की भावनाऐं उकेरी है, फिर भी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 27/09/201709/10/2017 ग़ज़ल कांटों मे या गुलाब,, में लिख, नाम दिल की किताब, में लिख! इतने सारे सवाल मेरे हैं, एक ख़त तो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 14/09/201709/10/2017 ग़ज़ल सूरत नहीं स्वभाव, देख, शहर नहीं तू गांव, देख! ठाठ-बाट महलों के देखे, झोपडी के अभाव, देख! जीवन ढोता रहेगा Read More