टूटे पत्ते
शाख से टूटे कुछ पत्ते कुछ मुरझाये ,कुछ सूखे कुछ मिटटी में सने हुवे मुस्काती कलियों को देख रहे थे
Read Moreशाख से टूटे कुछ पत्ते कुछ मुरझाये ,कुछ सूखे कुछ मिटटी में सने हुवे मुस्काती कलियों को देख रहे थे
Read Moreमाँ सरस्वती के चरणों में शत शत नमन, –सत्य लेखन ही सरस्वती पूजा है– लेखनी तो सरस्वती है, इसका अपमान
Read Moreमैं जी लूँगा किसी तरह , जिस हाल प्रभु की इच्छा हो, केवल मुझको दिखलाने भर , मत झूठा
Read Moreशरीफ बन कर रहना एक गुनाह हो रहा है, शराफत दिखा कर जीना, सजा हो रहा है, शराफत दिखाना जिसका
Read Moreसर्दी का मौसम आया है, फ़िज़ा में मस्त मस्त रंगरलियां बिखेरता हुआ, विशाल धुंध की चादर लपेटे हुए, बादलो की
Read Moreज़िंदगी फिर कुछ गुनगुना रही है मेरे कानों में, पर दुनिया के शोर में मुझे कुछ सुनाई नहीं देता, कितनी
Read Moreमिटटी के दीये में हमारे संस्कार हैं उपदेश है गरीब की रोटी है शुभागमन का सन्देश है दिया ह्रदय का
Read Moreमन से जीवन में सुन्दरता है , मन से जीवन में चंचलता है, मन ही मन में जो मुस्काते है,
Read Moreपल ही पल में, क्या से क्या हो जाता है, इक प्यार करने वाला दिल, शीतल ‘शबनम’ से आग का
Read Moreमैं भी जीना चाहता हूँ कुछ पल सिर्फ अपने लिए ….हाँ सिर्फ अपने लिए बस मैं ही मैं हूँ और
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