कविता : ख़ौल रहा है खून हमारा
ख़ौल रहा है खून हमारा, दी वीरो ने कुर्बानी । क्यों चुप बैठे नेता सारे, तुम्ही करो कुछ तूफ़ानी ।।
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Read Moreमीत सखा तुम हो सब मेरे अर्पण प्राण करूँ अब मेरे ।। गीत क़ता तुम हो तब मेरे । छंद
Read More31 दिसंबर की रात के जैसे ही बारह बजे सब एक दूसरे नव वर्ष की बधाई देने लगे कोई गले लगकर
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