कहानी – टीस
जैसे-2 उपन्यास अपने चरम पर पहुंचता जा रहा था दिव्या लेखक के भावों में डूब उतरा रही थी।वह उपन्यास के
Read Moreजैसे-2 उपन्यास अपने चरम पर पहुंचता जा रहा था दिव्या लेखक के भावों में डूब उतरा रही थी।वह उपन्यास के
Read Moreमृणाल जल्दी- जल्दी काम निबटा रही थी। बेटी के खराब स्वास्थ्य को देखकर उसका मन बहुत अशांत था। अवनि की
Read Moreज़िन्दगी तूने दिए , ज़ख्म बहुत, पर हौसला न मेरा , तोड़ पाई है । माना की हैं , दुश्वारियां
Read Moreजब भी तेरी यादों का झोंका चला आता है, सुकून ओ करीने से , संवरी ज़िन्दगी में, सब कुछ बिखेर
Read Moreअजब गजब सारी दुनिया के रंग बदलते मैँने देखे । ज़र्रे ऊपर उठते देखे , गिरते यहाँ मसीहा देखे ।।
Read More” ऐसे मायूस क्यूँ नज़र आ रहे हो हेमन्त ?” ” कुछ नहीं संजय-सोच रहा हूँ की आखिर सुख की
Read Moreबाल श्रम उन्मूलन सप्ताह की कवरेज करके सहकर्मी राकेश के संग लौट रहा सुमित उमंग और जोश से लबरेज़ था।
Read Moreहाथ से अधिक तेज उसकी जुबान चल रही थी । उधर अमित का गुस्सा बढ़ता जा रहा था उसकी बकझक
Read Moreजब पत्ते खोले गए तो मोहन के होश उड़ गए। इस बाजी के साथ वह अपना सब कुछ गंवा चुका
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