कविता

कविता : जब भी तेरी यादों का

जब भी तेरी यादों का
झोंका चला आता है,
सुकून ओ करीने से ,
संवरी ज़िन्दगी में,
सब कुछ बिखेर जाता है,
समेटती रह जाती हूँ मैं ,
तिनके -तिनके ,
जो रखे थे सहेजकर,
फिर कितने ही दिनों की ,
मशक्कत की
सज़ा दे जाता है ,
कभी खूबसूरत यादों के ,
बहाव में,डूबती-उतराती मैं ,
तो कभी टूटे ख्वाबों की ,
किरचें सम्हालती मैं ,
अपने ही ज़ख़्मी दिल को ,
हौले से सम्हालती मैं ,
मिल जाए कोई मरहम ,
शिद्दत से तलाशती मैं ,
बस करो अब मुझको ,
यूं सताओ न ऐ ” सना ”
भूल जाओ पता मेरा ,
न आओ अब यहाँ ।

                    —        ज्योत्सना

ज्योत्सना सिंह

नाम- ज्योत्सना सिंह । जन्म- 1974 शिक्षा- एम.ए.( अंग्रेजी साहित्य) बी.एड. व्यवसाय- कई वर्ष तक पब्लिक स्कूलों में शिक्षण कार्य। वर्तमान शहर- बरेली । फ़ोन न- 9412291372 मेल आई डी- jyotysingh.js@gmail. com विधाएँ - कविताएँ, लघुकथा, कहानी, निबन्ध लेख । प्रकाशन- विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित।

2 thoughts on “कविता : जब भी तेरी यादों का

  • अर्जुन सिंह नेगी

    सुन्दर रचना!

  • अंजु गुप्ता

    Wah ! Behd khoobsurat likha hai

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