गीत – रत्न छुपे अनमोल सखी
रत्न छुपे अनमोल सखी ! मन के तहखाने में । इक गुड़िया है थिरक-थिरक कर नाचा करती है , रोती-गाती
Read Moreरत्न छुपे अनमोल सखी ! मन के तहखाने में । इक गुड़िया है थिरक-थिरक कर नाचा करती है , रोती-गाती
Read Moreबहुरंगी दुनिया भले , रंग भा गए तीन , बस केसरिया , सित, हरित ,रहें वंदना लीन | रहें वंदना
Read Moreदिन ने खोले नयन जब , बड़ा विकट था हाल , पवन, पुष्प, तरु, ताल, भू , सबके सब बेहाल
Read Moreअब उनको समझाऊँ कैसे, रूठे श्याम मनाऊँ कैसे ।1 दुनिया लेकर रंग खड़ी है, दामन आह ! बचाऊँ कैसे ।2
Read Moreसोचा क्या अपना बनाने से पहले तो अब सोच लेना भुलाने से पहले ।१ नाज़ुक ,बहुत हैं ये चाहत की
Read Moreसाथ तुम्हारा करता है मग़रूर मुझे दिल से अपने अब मत करना दूर मुझे बाबुल तेरी उँगली थामे घूम
Read Moreदहे होलिका वैर की, खिले प्रेम प्रह्लाद | सदय दृष्टि प्रभु की रहे, बरसे बस आह्लाद ||१ इस होली सुन
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