प्रेम क्या है
प्रेम कोई प्रर्दशन नहीं है, प्रेम झूठी उपासना नहीं है, प्रेम अतृप्त वासना नहीं है, प्रेम कोई दिखावा नहीं है।
Read Moreप्रेम कोई प्रर्दशन नहीं है, प्रेम झूठी उपासना नहीं है, प्रेम अतृप्त वासना नहीं है, प्रेम कोई दिखावा नहीं है।
Read Moreमेरा अपना इस जग में , आज़ अगर प्रिय होता कोई। मैंने प्यार किया जीवन में, जीवन ही अब भार
Read Moreस्नेह की मधुर बयार में पला प्रिये, वियोग दीप में लिपट, पतंग सा जला प्रिये। चूमती धरा किरण उठी
Read Moreन राग के लिए न रीति के लिए, कि दीप जल रहा अनीति के लिए। न सांझ में सिमट सकती
Read Moreतुम्हीं सच बताओ मुझे मान दोगी तुम्हें गीत की हर लहर पर संवारूँ, तुम्हें जिन्दगी में सदा यदि दुलारूँ, तुम्हीं
Read Moreअभी उम्र वाकी बहुत है प्रिये, तुम न रूठो, अभी ज्योति मेरे नयन में। इधर कल्पनाओं के सपने हम सजाते,
Read More******************** प्रिय तुम मुझसे दूर न जाओ, मेरे मन में आज नशा है। घूंघट खोल रही है कलियाँ , झूम
Read Moreआओ मेरी प्रेयसि! जी भर मैं दुलराऊं। तेरा रूप मनोहर मेरे मन की जलधारा, तुम कुछ इतनी सुन्दर ज्यों फूलों
Read Moreशिक्षा ही जीवन का आधार है, देश का विकास भी शिक्षा के स्तर पर निर्भर, शिक्षा का स्तर,शिक्षक पर है
Read Moreहम अज्ञानी और अल्प बुद्धि है, मां शारदे इतना उपकार करो। हम सब के अन्तर्मन में, झंकृत वीणा तार करो।
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