गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 10/08/2017 ग़ज़ल मिली जीस्त दुर्लभ, बचाते रहो तुम दुखों के पहाड़ें, हटाते रहो तुम | कभी नींद आये न आये, पता क्या Read More
गीतिका/ग़ज़ल *कालीपद प्रसाद 07/08/201708/08/2017 ग़ज़ल जहाज़ चाहिए तूफानी बेकराँ के लिए विशिष्ट गुण सभी, जी एस(जी एस टी) इम्तिहाँ के लिए है कायदा यहाँ धरती Read More
कहानी *कालीपद प्रसाद 06/08/201717/08/2017 नाम में कुछ है विद्यालय का यह रिवाज़ था कि जो भी कर्मचारी सेवा निवृत होता था, उसे पूरा विद्यालय मिलकर विदाई देता था Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 06/08/201706/08/2017 ग़ज़ल हुआ क्या है तुझे चेहरा बुझा क्यों है हँसी उल्लास सबकुछ अब लुटा क्यों है ? नयन कुछ आज कहता Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 26/07/2017 ग़ज़ल फूल में अब ख़ास क्या, जो रंग गुलसन में नहीं रूप का अम्बार सजनी का जो’ दामन में नहीं | Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 15/07/201715/07/2017 ग़ज़ल दुअम्ली पाक सेना हार कर आजरफ़िशां क्यूँ हो हमेशा ही हमारे वीर सैनिक खूंचकाँ क्यूँ हो ? किया है प्यार Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 05/07/2017 ग़ज़ल फूल में अब ख़ास क्या, जो रंग गुलसन में नहीं रूप का अम्बार सजनी का जो’ दामन में नहीं | Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 04/07/2017 ग़ज़ल आतंक शक्ति का, कोई भी इम्तिहाँ नहीं मक्कार शत्रु है छली, इसमें गुमाँ नहीं | ज़ख़्मी हुआ जिगर भी’, मगर Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 20/06/2017 ग़ज़ल जो किया छुपकर, मुहब्बत वो नुमायाँ हो गई भूल जा, नाहक जमाने से तू परीशाँ हो गई | काम नौटंकी Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 14/06/2017 ग़ज़ल अब लूटपाट स्त्रीत्व हरण, सब चरम हुए व्यभिचार छल कपट, यही सबके धरम हुए | जब तेरी खिन्नता भरी आँखे Read More