ग़ज़ल
इस जीस्त से निराश हूँ मैं, यार क्या करूँ कुछ भी तो सूझता है नहीं, प्यार क्या करूँ हमको निभाना
Read Moreआज की स्थिति पर एक गज़ल जो गया जग छोड़कर, उसको कभी आना नहीं वह शरण में है रब के,
Read Moreमधुर आम उपवन उपज, करते सब रस पान | तिक्त करेला कटु बहुत, करता रोग निदान || काला जामुन है
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