गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 21/05/2020 ग़ज़ल स्वतंत्र देश ने’ पुख्ता विधान पाया है नवीन देश ने’ इक संविधान पाया है | कठीन काम था’ इस संविधान Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 21/05/2020 ग़ज़ल सभी कर्म फल पीछे’ तकदीर पहले मिले बाद में दंड, तकसीर पहले | तबाही या’ संहार जग का करे कौन Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 21/05/2020 ग़ज़ल गर पियोगे शराब बे मौक़ा नाम होगा खराब बे मौक़ा | सोच कर बात सर्वदा करना दुःख देता जबाब बे Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 21/05/2020 ग़ज़ल जनजागरण हुआ, ये’ समय कामयाब का अब देर सिर्फ एक नया इन्कलाब का | अन्याय का विरोध करे चुप न Read More
कवितापद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 18/03/2020 (छंद मुक्त कविता ) क्या हो गया है हमें ! क्या हो गया है हमें, कभी हम ऐसे तो न थे अनजान मेहमानों को भी, भगवान मानते थे l भारत Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 18/03/2020 ग़ज़ल मंत्री’ पद के लिए दिल मचलने लगे रहनुमा स्वयं पार्टी बदलने लगे | सिर्फ सिद्धांत का अर्थ कुछ भी नहीं Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 18/03/2020 ग़ज़ल सताकर हमें तुम रुलाना नहीं जलाकर अगन अब बुझाना नहीं| किया है मुहब्बत तुम्ही से सनम वफा चाहता हूँ भुलाना Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 18/03/2020 ग़ज़ल मस्ती’ में गीत इक गुनगुनाने लगे नेता’ जी गीत तफ्सील गाने लगे | रहनुमा रात भर कुछ बताने लगे कुछ Read More
पद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 18/03/2020 ग़ज़ल इश्क ज्वार में सदा आदमी लुटा गया बेवफा सनम मुझे ख्वाब में जगा गया | प्यार की कसम सनम ने Read More
गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 04/02/202004/02/2020 ग़ज़ल अब हरिक जन में हौसला होगा जात अभिमान तोड़ना होगा | देश में एक रूपता लाने कौम आधार एक सा Read More