हज़ार गीत सावनी/बरखा गीत/
हज़ार गीत सावनी, रचे सखी फुहार ने, झुलाएँ झूल झूमके, लुभावनी बहार में। विशाल व्योम ने रची, सुदर्श रास रंग की, जिया
Read Moreहज़ार गीत सावनी, रचे सखी फुहार ने, झुलाएँ झूल झूमके, लुभावनी बहार में। विशाल व्योम ने रची, सुदर्श रास रंग की, जिया
Read Moreसूरज उगलता आग जो बागान से गया जिस गुल पे प्यार आया, वो पहचान से गया खाती हैं गर्मियाँ
Read Moreकल तक कलकल गान सुनाता बहता पानी बोतल में हो बंद छंद अब भूला पानी प्यास बुझाती थी जो
Read Moreफूलों से खुशबू लेकर खिलने का वादा। खुद से कर लो जीवन भर हँसने का वादा। बन आँसू बोझिल
Read Moreखोलो मन के द्वार बंद क्यों? संवादों के तार बंद क्यों? अहंकार की खुली मुट्ठियाँ प्रेम-पुष्प उपहार बंद क्यों? क्या
Read Moreमाँगकर सम्मान पाने, का चलन देखा यहाँ मान अपना खुद घटाने, का चलन देखा यहाँ किस तरह साहिल बचाए,
Read Moreबाकी अभी उजाला है दिन कहता है करो जतन कुछ दिनकर ढलने वाला है। जीवन को मत जंग
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